28 अक्तू॰ 2015

चल पनघट

तूं चल पनघट में तेरे पीछे पीछे आता हूँ
देखूं भीगा तन तेरा ख्वाब यह सजाता हूँ
मटक मटक चले लेकर तू जलभरी गगरी
नाचे मेरे मन मौर हरपल आस लगाता हूँ
जब जब भीगे चोली तेरी भीगे चुनरिया
बरसों पतझड़ रहा मन हरजाई ललचाता हूँ
लचक लचक कमरिया तेरी नागिनरूपी बाल
आह: हसरत ना रह जाये दिल थाम जाता हूँ

25 अक्तू॰ 2015

जुमला भा गया

आहट है कैसी ? वक़्त ये कैसा है आ गया
बनाकर बहाना गाय का कोई इंसान खा गया

टूट पड़े सन्नाटे कल तक खामोशियाँ छाई थी
दंगे ही दंगे है वक़्त -ऐ- हुड्दंग जो आ गया

मिलकर भुगतो चुनली हुकूमतें हमने ऐसी ऐसी
अफसोफ़ लोट के दौर -ऐ- रावण जो आ गया

सहते आये थे फिर कुछ बदलने की आस थी
अब ना कर शिकवा तब हमें जुमला जो भा गया

21 अक्तू॰ 2015

दहशत है फैली

दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
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भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
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तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
सुखा है दूर तलक देखो  हालत किसानों की
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धर्म की बड़ी दीवार खड़ी  है  चारों  और यहाँ
जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
................................................................MJ
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14 अक्तू॰ 2015

Knock or Joke

 ......................तीन दोस्त एक महफ़िल
अमेरिकन : हमने 2010 में ऐसा अविष्कार किया है जिससे आसपास होने वाली किसी भी दुर्घटना का पता आसानी से लगाया जा सके उसे रोका जा सके 

चाइनीज  : हमने 2011 में  ऐसा अविष्कार किया है की जिससे सड़क हादसों में कमी आयेगी और जिससे लोगों को सहायता जल्दी मिल सकेगी
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हिन्दुस्तानी  : हा हा ठण्ड रख भाई हमारी भी सुन हमने 2015 में ऐसा अविष्कार किया है (digital India ) जिससे फ्रिज में रखी चीजों तक का पता लगा सकते है की दूसरे के फ्रिज में क्या रखा है ताकि किसी को अपनी मर्जी से कुछ भी खाने से रोका जा सके ..

note इस अविष्कार से किसी की  जान भी जा सकती है ..
......ईश्वर आपकी रक्षा करे सरकार भी आपके साथ है 
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10 अक्तू॰ 2015

शर्म से सर झुक गया

कल मेने एक विदेशी दोस्त को दादरी घटना की थोड़ी डिटेल बताई  
दोस्त थोडा चोंका, फिर उसने जो जवाब दिया कसम से शर्म से सर झुक गया ..
उसका जवाब था.....तो भाई इसका मतलब यह हुआ की इंडिया में एक जानवर को माता कहा जाता है 
यानि हर नस्ल की माता , नागोरी, थरपारकर, भगनाड़ी, दज्जल, गावलाव ,गीर, नीमाड़ी, इत्यादि इत्यादि,
कोई बड़े सिंग वाली माता...कोई बड़ी पूँछ वाली माता...कोई काली कोई सफ़ेद माता
कोई चितकबरी माता...कोई बड़े थन वाली माता...कूड़ा करकट खाती माता..
फलां फलां यानि हर नस्ल की माता .....
मेने कहा भाई ऐसी बात नहीं है यह तो कुछ तुच्छ किस्म के लोग हिन्दुस्तानीयों के दिल में नफरत भरकर अपनी रोटियां सेक रहे है ..
.उसने कहा यार यह कैसी माता है जिसकी आड़ में लोगों के क़त्ल तक कर दिए जाते है ............
.,कसम से जवाब देते ना बना ..में आहिस्ता से खिसक लिया
जाते जाते पीछे से उसने चिल्लाकर कहा ..अरे भाई सुना है ब्राज़ील में तो एक गीर नस्ल की माता ने तो दूध देने के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए..
...
में सोचता रह गया आखिर बन्दे ने गलत भी तो नहीं कहा था एक कड़वी सच्चाई से रूबरू करा गया .

8 अक्तू॰ 2015

तमाशा चैनल चैनल देखे जा

 देश बर्बाद करके दम लेंगे यह तो बस ठानी है
जो करना है करके रहेंगे सरकारें फिर आनी जानी है
ईश्वर करे रक्षा हमारी,फिर पुलिस भी तो सेवा में है
"बस"काले धन की बात ना करना काला धन रूहानी है
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और हाँ असली चीज तमाशा है बस चैनल चैनल देखे जा  mj

6 अक्तू॰ 2015

कुर्सी के कीड़े

कुर्सी के कीड़ों ने फिर से ऐसा भड़काया हमको
जिंदा है यह तो मगर हम अपनी जान गंवा बैठे
खामोशियाँ साध ली देखो इन रहनुमाओं ने आज
दहशतों मैं अफ़सोस इन्सानों को इन्सान भुला बैठे
क्या खोया क्या पाया हमने इनकी रहबरी मैं यारो
मस्जिदें तो  आबाद हुई  अफ़सोस ईमान भुला बैठे
मंदिरों को बचाकर भी अफ़सोस भगवान भुला बैठे

4 अक्तू॰ 2015

देश झुकने नहीं दूंगा

फैले कितने भी दंगे या फिर हो चाहे फसाद यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा .

चाहे मरे कोई इंसान जानवर की मौत यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

कितनी गंदगी है यहाँ घूम घूम दुनियां को बताया
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

आज छाया है दर्द–ऐ-दादरी सारे जहाँ मैं देखो
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

नफरतें भर गयी शांतिप्रिय जो थे कभी यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

3 अक्तू॰ 2015

दादरी की गाय

गाय के जरिये  नफरत फेलाने  वालों  जरा  इन लाइनों पर भी  नजर डालिए ?
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पल पल मैं  बदलती  नफरत की हवाओं को देखो 
जिनके लिए फैली है दहशत जरा उन मांओं को देखो 
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दर दर की ठोकर खाती इन सपूतों से आस लगाती
नुक्कड़ नुक्कड़ पूँछ हिलाती इन अबलाओं को देखो 
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जब तक देती है भर भर के दूध पनीर प्यारे  
फिर कूड़ा करकट खाती इन विधवाओं को देखो 
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इनके फेर मैं ना जाने कितने मरेंगे "अखलाक" 
फिर सियासी रंग चढाते इनके रहनुमाओं को देखो .
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.....................................................................MJ 


2 अक्तू॰ 2015

नस्लों मैं भेड़िये

ना जाने यह  कैसे कैसे अभियान चलाते है
फिर इनकी आड़   मैं  यह इंसान जलाते है 
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जब देखा फ़ैल रही है भाईचारे मशालें यहाँ
फिर यह नफरतों के चुभते  बाण चलाते है 
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लड़ाकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मैं 
फिर भी नस्लों मैं भेड़िये यह इंसान कहलाते है 
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गए नहीं कभी मंदिर मस्जिद की चोखट पर
अपना ही धर्म सबसे से ऊँचा हमको सिखलाते है 
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इतने मैं ना हुआ इनका मकसद पूरा  तो
फिर यह दुष्ट गीता और कुरान जलाते है 
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फिर ले जाकर इन मुद्दों को संसद तक "राज"
वहां भी लगता  है जैसे हैवान चिल्लाते  है 
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.............................................MJ deshwali ( RAAJ )





1 अक्तू॰ 2015

अखलाक़

एक अफवाह उडी के  बीफ  खाया जा रहा  है
हम कितने DIGITAL है यह जताया जा रहा है

कोई  धर्म नहीं शायद  इनका फिर कौन है यह
बीफ के नाम पर क्यूँ नफरतों को बढाया जा रहा है

कुछ तो फर्क कर देता  खूँ  मैं  भी ऐ खुदा
जिनके सहारे कत्ले-ऐ-आम मचाया जा रहा है
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कसूर इतना था उस गरीब का वो इक मुस्लिम था
जाने किस किस को यह पाठ  पढाया जा रहा है

क्यों और कब तक मरेंगे यूँही कितने (अखलाक )
मातम है कहीं  तो कहीं जश्न मनाया जा रहा है

यहाँ जब कोई  नहीं सुन रहा  उस गरीब  की आह
दूर कही अनसुलझा  मसला-ऐ-कश्मीर सुलझाया जा रहा है |
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......................................................................MJ DESHWALI



एक मासूम-सी बेटी

प्यारे पापा, जब मैं हॉस्पिटल में एडमिट हुई तब मुझे सांस लेने में परेशानी थी, ब्लड प्रेशर भी कम था और गुर्दे भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे, लेकिन अब मैं कुछ ठीक महसूस कर रही हूं। मशीनों से भी तो आजादी मिल गई मुझे।   सबसे अच्छा तब लगा जब आपने मुझे गुरूवार की सुबह कई दिन बाद आपने गोद में लिया। यहां आईसीयू में नर्सेज आपस में बात करती हैं और कहती हैं कि बेटी से भी कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है? तब मन ही मन मुस्कराती हूं और सोचती हूं कि वाकई मैं कितनी खुशकिस्मत हूं।

मुझे जन्म देने वाली मां का प्यार तो नसीब नहीं हुआ, लेकिन आपने हर कमी पूरी की।

आपके पास पैसे नहीं थे, इस वजह से मुझे स्लिंग में अपनी गर्दन में लटकाकर रिक्शा चलाया, लेकिन मैं छोटी हूं ना मौसम का यह मिजाज सह नहीं पाई और बीमार हो गई।

मेरी बीमारी में आप कितना परेशान हुए। आपकी परेशानी प्रार्थना बनकर भगवान के दर पहुंची और देखो, उसका प्रभाव आज आपके सामने है। डॉक्टर अंकल ने बताया ना कि मेरा वजन भी बढकर 1735 ग्राम हो गया है।

बस, अब कुछ दिन की ही बात है। ये फंगल इंफेक्शन भी ठीक हो जाएंगे, फिर हम अपने घर चलेंगे। पैसों की परेशानी तो लोगों की मदद से अब दूर हो गई ना पापा। मैं भी बड़ी होकर पढ़ूंगी-लिखूंगी। शुक्रिया उन सभी लोगों को जिन्होंने मेरे पापा की मदद की और मेरे लिए प्रार्थना।

एक जुमला था

जिस तरह से डिजिटल इंडिया (DigitalIndia) का डंका बजाया  जा रहा है
सोचता हूँ  शर्म  करू या गर्व
                                        चलो पहले थोडा गर्व करते है
आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से हिन्दुस्तान को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे है उससे लग रहा है के  हमारा देश सचमुच  Digital हो रहा है जिस तरह से दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनिया भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरो से देख रही है तो लगता है की हमारा अच्छा दौर शुरू हो चूका है
और जिस तरह से विकास की लहरें उठ रही है तो लगता है हमारा आने वाला कल बहुत ही सुनहरी होगा और इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है ....  .जिसका हमें गर्व है

                                                        अब बात शर्म की जाये

शर्म आती है की देश का प्रतिनिधि किसी दूसरे देश में जाकर अपने देश की गरीबी का और भ्रष्टाचार का  दुनिया के सामने बखान करे वो भी किसी देश के प्रतिनिधि की तरह नहीं बल्कि एक पार्टी खास के प्रतिनिधि की तरह
क्या इस देश ने पिछले 60 सालों में कुछ नहीं पाया क्या इस देश में इतनी गरीबी और भ्रष्टाचार था
की जिसको मिटाने के लिए अब हम दूसरे देश में जाकर "मेक इन इंडिया" के लिए हाथ फेलायें
‘यानी मोदीजी पहले आप भारत को ठीक कीजिए।
 इसी तरह ‘डिजिटल इंडिया’ वगैरह के लुभावने नारों से उनका क्या लेना-देना जो इस तरह के नारों का मतलब भी नहीं जानते हो ...जो गरीब जनता 15 लाख के वादे को वादा मान बेठी थी

(खैर वो तो एक जुमला था)

शर्म आती है की 125 करोड़ आबादी का राष्ट्र भारत इतना अपाहिज़ हो चूका हैं।
जिस तरह से तो जो यह इतना तामझाम किया जा रहा  है इससे हासिल क्या होगा
सच है की कुछ वक़्त पहले (चुनाव से पहले)तक जो देश के लोगों में एक जोश सा छाया था जो इंदिरा  और नेहरु के ज़माने भी नहीं था जो बड़े बड़े वादे किये गए थे जो की अबतक जारी है.