2 अक्तू॰ 2015

नस्लों मैं भेड़िये

ना जाने यह  कैसे कैसे अभियान चलाते है
फिर इनकी आड़   मैं  यह इंसान जलाते है 
.
जब देखा फ़ैल रही है भाईचारे मशालें यहाँ
फिर यह नफरतों के चुभते  बाण चलाते है 
.
लड़ाकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मैं 
फिर भी नस्लों मैं भेड़िये यह इंसान कहलाते है 
.
गए नहीं कभी मंदिर मस्जिद की चोखट पर
अपना ही धर्म सबसे से ऊँचा हमको सिखलाते है 
.
इतने मैं ना हुआ इनका मकसद पूरा  तो
फिर यह दुष्ट गीता और कुरान जलाते है 
.
फिर ले जाकर इन मुद्दों को संसद तक "राज"
वहां भी लगता  है जैसे हैवान चिल्लाते  है 
.
.............................................MJ deshwali ( RAAJ )





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें