13 दिस॰ 2015

पैगंबर मुहम्मद की शान में गुस्ताखी

सच है की जिनकी सोच इस्लाम के बारे मैं गंदी है
वो हमेशा अपनी गंदी सोच का ही प्रमाण देगा ।।
इनका मुद्दा हमेशा से इस्लाम को नीचा दिखाना और
ईस्लाम का नेगेटिव प्रमोशन करना ही है ।
दुनिया जानती है की मुसलमानों के दिलो में
पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की क्या इज़्ज़त क्या रुतबा है
जिनको खुदा ने सारी इंसानियत के लिए शांति और
अमन का दूत बनाकर कर भेजा था उनकी शान में
बार बार गुस्ताखी करना किस बहादुरी का नाम..
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) के खिलाफ़ की गई टिप्पणी देश का
वातावरण बिगाड़ने का प्रयास है .जो गन्दी मानसिकता दर्शाती है
अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करने वालो ।।
आज़ादी का ये मतलब नही के किसी भी धर्म की आस्था
को ठेंस पहुंचाई जाए आज़ादी तो यह है के सच को सच
लिखा जाए बोला जाए।
अगर दम है तो इजराइल के ज़ुल्मो की दास्ताँ बारे में बोलो ।।
अगर दम है तो मज़लूमो की चीख पुकार के बारे में आवाज उठाओ।।
अगर शर्म है तो सीरिया के हालात के बारे में बोलो ।।
अगर इंसानियत है तो अमरीका के बर्बरता इराक़ पर बोलो ।।
अगर दिल है तो फलस्तीन की माओं का दर्द सुनाओ ।।
अगर दर्द है तो गुजरात आसाम के किस्से ब्यान करो ।।
यह है अभिव्यक्ति की आज़ादी..
किसी धर्म के बारे मैं गलत भाषा इस्तेमाल करना नहीं

लेकिन यह जो दोहरी मानसिकता के लोग है वो  एक तरफ़ा ही बोलते लिखते थे
और बोलते लिखते  रहेंगे लेकिन सच कभी नही बोलेंगे ।।

8 दिस॰ 2015

फलस्तीन की मिटटी

शायद तेरी कोख में बुझदिल पैदा नहीं होते ...

इसलिए ऐ फलस्तीन की मिटटी तुझे सलाम ..


जब भी फलस्तीन का जिक्र आता है जहन में एक बहादूर और सहन करने वाले लोगों की

छवि उभर आती है फलस्तीन की जनता पर क्रूर इस्राइली जुल्म की इंतिहा सालों से जारी है......

लेकिन ..........

फलस्तीन की उस जमीन को सलाम

जिसके के हर बगीचे को दुश्मनों ने रोंद दिया जहाँ की हर खिड़की का शीशा तक जुल्म का शिकार होकर टुटा है..स्कूल अजायब घर नजर आते है...उस देश की हर वादी में अमन का कत्ल हुआ है.

उस जमीन के हर घर में एक शहीद की तस्वीर दीवार पर जरूर मिलेगी है.......

उस जमीन की हर औरत को सलाम..........

जो खून से लथपथ अपने बच्चो को गोद में लेकर कहती है ऐ जालिम इससे ज्यादा तेरे जुल्म की इन्तिहा क्या होगी लेकिन फ़िक्र ना कर में ऐसे बहादुर बच्चो को फिर जन्म दूंगी

उस जमीन के हर बच्चे को सलाम....

यतीम होना इस देश के बच्चे शायद जानते तक न हो फिर भी दुश्मन के सामने खड़े होकर कहते है .

ढा ले जुल्म तू आखरी हद तक ऐ दुश्मन लेकिन .हम तेरे सामने नहीं झुकेंगे ..हम भी जवानी में कदम रखेंगे हम फिर लड़ेंगे ....क्योंकि हमें बहादुरी सिखाई जाती है. बुजदिली नहीं



ऐ फलस्तीनियों आखिर तुम किस मिट्टी के बने हो ..कितना जुल्म सहन करोगे .....