16 जून 2018

राणा जी माफ करना


सालों पहले आई फिल्म "करन अर्जुन" का कहीं से सामने अा गया, लिखने को कुछ था नहीं तो सोचा चलो इस गाने का ही पोस्टमार्टम करते है..😂😁

गाना है ......
"छत पे सोया था बहनोई, में तने समझ के सो गई,
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई,"
यहां गाने के हिसाब से गर्मी का मौसम था,

और उस गांव में बिजली नहीं थी या बार बार काटी जा रही थी
मतलब तब भी बिजली का हाल आज की तरह ही था, इसलिए बहनोई को छत पे सुलाया गया था, अगर बिजली सही तरीके से रहती तो बहनोई को कूलर वाले कमरे में सुलाते  😁

गाना आगे बढ़ता है......
"बहनोई ने ओढ़ रखी थी चादर, में समझी पिया का है बिस्तर,
आधे बिस्तर पे वो साया था, आधे पे में सो गई
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई,"

यहां पता चलता है कि उसका बहनोई कोई बकलोल किस्म का आदमी था, क्योंकि उसने इतनी गर्मी में भी चादर ओढ़ रखी थी और वो सिकुड़ कर आधे बिस्तर पर सोया था,
पूरे बिस्तर पर आराम से फैल कर भी तो सो सकता था,😁

चलिए गाना आगे बढ़ाते है ......
"भूल हुई मुझसे कैसा अचम्भा,बहनोई था पिया जितना लंबा
चूर थी में दिनभर की थकन से, पड़ते ही बिस्तर पे सो गई
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई "

यहां पता चलता है कि उसके पिया का नाम राणा जी है
जिससे यह बार बार माफी मांग रही थी,और वो अच्छा खासा लंबा भी है, अगर छोटे कद का होता तो लंबा नहीं बताती,
और हां इसमें अचम्भे वाली कोई बात नहीं है
क्योंकि उसका पिया "अंधभक्त"  किस्म का निकम्मा और नेताओ के आगे पीछे घूमने वाला आदमी है कोई काम धंधा नहीं करता, अगर वो काम करता होता तो यह दिन भर में इतनी नहीं थकती की बिस्तर का भी होश नहीं रहा,😊😊

पूरे गाने में खास बात यह है कि यह सारी बातें बहनोई चुपचाप सुन रहा था, उसने कोई भी सफाई पेश नहीं की,
इसलिए मैने पहले भी कहा है कि उसका बहनोई भी कोई बकलोल किस्म का आदमी था 😁😀

खैर अपना क्या है उसका बहनोई जाने और उसका पिया
अपने को तो बस लिखना था लिख दिया 😉😉 .
....

14 जून 2018

परदेस में चांद रात

कल यहां भी "ईद" है परदेस में... !!!

शायद दाना हमारे नसीब का

रब ने यूं बखेरा है परदेस में

चुन रहे है तिनका तिनका

वो सब अपनों की ईदी है

कल यहां भी "ईद" है परदेस में.... !!!

यहां चांद कौन देखता है भला

बस तुम्हारी तरह यहां भी कल ईद है

सुबह का बचा खाना खा कर लेता हूं

कमरा बिखरा है दुरुस्त करना है

कल साथी मिलने आयेंगे "शायद"

कल यहां भी "ईद"है परदेस में..... !!!

नींद तो कब की फाख्ता हो गई

मुझे कल के बर्तन भी धोने है

अलार्म लगा कर सो जाऊंगा

मम्मी ना जगाएगी यहां परदेस में

कल यहां भी "ईद"  है परदेस में....!!!

गर वक़्त पर जागा तो "जमील"

कल वहीं कपड़े पहन लूंगा

जो इस्त्री करके रखे है मैने

फ़िक्र है अपनी की ईद चांद हो जाए

बस यही तो हमारी ईदी है

कल यहां भी "ईद" है परदेस में....!!!☹️
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11 जून 2018

गांव के बूढ़े बाबे

कच्चे घरों में पक्के रिश्ते होते थे
तब यह गांव वाले कितने मीठे होते थे ..

अब मोटी दीवारें हैं घर घर के बीच में
पहले तो हर आंगन रिश्ते नाते होते थे

अब कौन सुनाए चबूतरे पर कहानियां ,
वहां पहले तो कुछ बूढ़े बाबे होते थे

सिर्फ यादें है उस नुक्कड़ की "जमील"
जिस नुक्कड़ पर चाय के ढाबे होते थे

वो डमरू वाला आता था खेल दिखाने
जब मोबाइल जैसे ना कोई तमाशे होते थे 

फुर्सत मिले तो जीने की कोशिश करना
वो पल जब अपनों संग ठहाके होते थे
.


10 जून 2018

चलो बांधते है बिल्ली के गले में घंटी


आपने वो कहानी तो सुनी ही होगी 😇
अरे वही बहुत सारे चूहे मिलकर बिल्ली के गले में घंटी बांधने के लिए मीटिंग करते है ..आखिर में बात वहां अटक गई कि गले में घंटी बांधेगा कौन, और कैसे 🤔..
.
चलिए.. अब बांधते है उसी बिल्ली के गले में घंटी 🔔
कहानी टेक्नोलॉजी के ज़माने में अा चुकी है 💻
चूहे🐀 भी वही है, बिल्ली🐈 भी वही हैं, हां बस वो थोड़ी नेता टाइप की हो गई है.. उसके गले में भगवा रंग का गमछा भी है,
सब चूहों को वॉट्सएप कर दिया गया है
सोशल मीडिया का काम..मेरे जैसे कुछ सोशल मीडिया पर एक्टिव चूहों को सौंपा गया है ,
धड़ा धड स्टेटस लिखे जा रहे है डिजाइनदार पोस्ट बना कर
इनबॉक्स में चिपकाए जा रहे है,
टैग लाइन है   "अच्छे दिन आयेंगे,  गले में घंटी बांधेंगे 🔔 "
अब वो घड़ी भी आ गई जब बिल्ली के गले में घंटी बांधने
का फैसला होगा,दूर दूर से चूहे आए है
सबके हाथ में स्मार्टफोन है📱, कुछ बड़े नाम वाले चूहे भी है
और पिछलग्गू चूहे भी आए है,
सेल्फियां खींची जा रही है कुछ ने तो मीटिंग को लाइव भी कर दिया है
लीडर टाइप का चूहा स्टेज पर खड़ा होकर बोलता है
मित्रों.......🔊🔊
अब वो वक़्त अा गया है जब हमें इन बिल्लियों को सबक सिखाना होगा, हम सदियों से इनके जुल्मों के शिकार है
सब अपने अपने आइडिये. "चूहा गैंग" पेज पर शेयर करें
सबने आइडिए शेयर करना शुरू कर दिए
किसी का आइडिया बेहतरीन है और किसी ने तो बस दूसरे का कॉपी करके चिपका दिया है
आखिर में लीडर टाइप चूहे ने फैसला सुनाया
मित्रों....🔊🔊
सबके आइडिया में से हमने एक बेहतरीन  आइडिया निकाला है
की पहले हम मेडिकल की दुकान पर जाएंगे और वहां से
बेहोशी की दवा लेकर आयेंगे उस बिल्ली के दूध में मिला देंगे
जब वो बेहोश हो जाएगी तब चार पांच पहलवान चूहे जाकर उसके गले में घंटी बांध देंगे !!!!
इतना सुनते ही सारे चूहे खुशी से झूम उठे, नाचने  गाने लगे
चारों तरफ शोर मचने लगा ..🎷🎼🎼 ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
"गले में घंटी बांधेंगे अच्छे दिन आयेंगे" .......
लेकिन वो यह भूल गए कि इनमें भी लोटा टाइप का चूहा भी है
जिसका काम ही दलाली करना है, 
वो जाकर बिल्ली को सब कुछ बता देगा, बिल्ली फिर सतर्क हो जाएगी...........कहानी ऐसे ही चलती रहेगी ...😊😊
 

8 जून 2018

अच्छे दिन की डायरी...

इतना कुछ लिखा जा चुका है या लिखा जा रहा है,

आने वाले वक़्त में जब इतिहासकार लिखने बैठेगा तो    लिखने के लिए उसके पास कुछ नहीं होगा

जब वो
कुछ देश के बारे में लिखने की सोचेगा  !!!

लेकिन क्या लिखना है उसे भी नही मालूम जो वो सोच रहा है     वो सब लिखा जा चुका है और इतिहास बन चुका है

फिर वो
इंसानियत के बारे में लिखने की सोचेगा !!!

लेकिन किसकी इंसानियत के बारे में लिखे , जो लोग इंसानियत दिखा रहे थे, कईयों ने शाम को घर में बूढ़े मां बाप से बदतमीजी की है,

शिक्षा, समाज , परिवार, दोस्त, रिश्तेदार , सबके बारे में उसने सोचा लेकिन जो वो सोच रहा है वो सब लिखा जा चुका है और पढ़ा जा चुका है

अब वो
हैरान परेशान होकर अपने क़लम को फेंकने ही वाला था कि
अचानक से मुस्कुराया 

आइडिया !!
उसने सोशल मीडिया खोला कहीं से एक दो किलोमीटर लंबी पोस्ट कॉपी की ओर इतिहास लिखने वाली डायरी में चिपका देगा..
उसे यह भी पता है कि यह नसीहत भरी पोस्ट उससे पहले भी
कई बार लिखी और पढ़ी जा चुकी है,....

लेकिन सुकून है
वो लिख चुका है उसे पोस्ट खत्म करनी है,
अब वो सिर्फ यह एक बात लिखकर इतिहास की डायरी बंद कर देगा कि " अच्छे दिन आयेंगे " ......