17 सित॰ 2018

बेचारा Nimbuzz..

बात शायद 2008 की बात है जब मार्केट में एक भगवा रंग का मैसेंजर आया था " Nimbuzz "
और आते ही धमाल मचा दिया था खासकर खाड़ी देशों में
उस वक़्त फेसबुक भी 4 साल का हो गया था लेकिन
FB का इतना क्रेज नहीं था जितना Nimbuzz का था

उसके क्रेज का अंदाजा इसी से लगा सकते है कि आज भी
कई फेसबुक प्रोफ़ाइल पर working at nimbuz लिखा दिख जाएगा .. 

यह तो ठीक है कि आज यह ज़िंदा नहीं है
वरना इसके भगवा कलर की वजह से इसे भी धार्मिक रंग दे दिया जाता ...... बोलो Nimbuzz बाबा की जय..

बड़ी कमाल की चीज थी
खाड़ी देशों में यह बड़ी टाइमपास की चीज थी क्योंकि इसमें भी ग्रुप हुआ करते थे..कनेक्टिविटी का बेहतरीन साधन बन चुका था ...... तेरी nimbuzz आईडी बता जल्दी से

इसमें भी वॉट्सएप की तरह लात मारके ग्रुप से बाहर निकाल दिया जाता था. बिना वार्निंग के......
और कई गफूर भाइयों ने पिंकी बनके लोगों को चम्पू बनाने का हुनर भी यहीं से सीखा था..

इसके लिए मार्केट में bamboo जैसे सॉफ्टवेयर भी आए थे जो सामने वाले के मोबाइल को डांस करवा देते थे...

वो कहते हैं ना वक़्त के थपेड़े किसी को नहीं छोड़ते
वक़्त ने इसका भी वही हश्र किया 
वॉट्सएप और फेसबुक की आंधी में बेचारा Nimbuzz  गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो गया..

लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं  इतिहास के पन्नों में इसका नाम भगवा अक्षरों में लिखा जाएगा.....

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