जहाँ हर कोई बिन बात के आपस में लड़ रहा है
नफरत है शहर शहर किसान भी सूली चढ़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा है
जहाँ एक तरफ भूख से बेहाल तरसते गरीब देखो
एक तरफ अनाज सरकारी गोदामों में सड़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा है
भूल गए इंसानियत धर्म मजहब पर हाहाकार देखो
कोई सुरक्षित नहीं भार महंगाई का जो पड़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा
नफरत है शहर शहर किसान भी सूली चढ़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा है
जहाँ एक तरफ भूख से बेहाल तरसते गरीब देखो
एक तरफ अनाज सरकारी गोदामों में सड़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा है
भूल गए इंसानियत धर्म मजहब पर हाहाकार देखो
कोई सुरक्षित नहीं भार महंगाई का जो पड़ रहा है
*फिर कैसे कह दूँ भारत आगे बढ़ रहा