सालों पहले आई फिल्म "करन अर्जुन" का कहीं से सामने अा गया, लिखने को कुछ था नहीं तो सोचा चलो इस गाने का ही पोस्टमार्टम करते है..😂😁
गाना है ......
"छत पे सोया था बहनोई, में तने समझ के सो गई,
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई,"
यहां गाने के हिसाब से गर्मी का मौसम था,
और उस गांव में बिजली नहीं थी या बार बार काटी जा रही थी
मतलब तब भी बिजली का हाल आज की तरह ही था, इसलिए बहनोई को छत पे सुलाया गया था, अगर बिजली सही तरीके से रहती तो बहनोई को कूलर वाले कमरे में सुलाते 😁
गाना आगे बढ़ता है......
"बहनोई ने ओढ़ रखी थी चादर, में समझी पिया का है बिस्तर,
आधे बिस्तर पे वो साया था, आधे पे में सो गई
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई,"
यहां पता चलता है कि उसका बहनोई कोई बकलोल किस्म का आदमी था, क्योंकि उसने इतनी गर्मी में भी चादर ओढ़ रखी थी और वो सिकुड़ कर आधे बिस्तर पर सोया था,
पूरे बिस्तर पर आराम से फैल कर भी तो सो सकता था,😁
चलिए गाना आगे बढ़ाते है ......
"भूल हुई मुझसे कैसा अचम्भा,बहनोई था पिया जितना लंबा
चूर थी में दिनभर की थकन से, पड़ते ही बिस्तर पे सो गई
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई "
यहां पता चलता है कि उसके पिया का नाम राणा जी है
जिससे यह बार बार माफी मांग रही थी,और वो अच्छा खासा लंबा भी है, अगर छोटे कद का होता तो लंबा नहीं बताती,
और हां इसमें अचम्भे वाली कोई बात नहीं है
क्योंकि उसका पिया "अंधभक्त" किस्म का निकम्मा और नेताओ के आगे पीछे घूमने वाला आदमी है कोई काम धंधा नहीं करता, अगर वो काम करता होता तो यह दिन भर में इतनी नहीं थकती की बिस्तर का भी होश नहीं रहा,😊😊
पूरे गाने में खास बात यह है कि यह सारी बातें बहनोई चुपचाप सुन रहा था, उसने कोई भी सफाई पेश नहीं की,
इसलिए मैने पहले भी कहा है कि उसका बहनोई भी कोई बकलोल किस्म का आदमी था 😁😀
खैर अपना क्या है उसका बहनोई जाने और उसका पिया
अपने को तो बस लिखना था लिख दिया 😉😉 .
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