26 मार्च 2018

वक़्त का तकाज़ा

होंट सिल दिए
आवाजें दबा दी
बहरे नहीं हो तुम
सुनते रहो बस
आंखें खुली रखना मगर
अंधे नहीं हो तुम
क्या दिखाया जा रहा है
देखो महसूस करो
बस आवाजें दबी है
गूंगे नहीं तो तुम
तुम डरे नहीं थे
डराया गया है तुमको
बहादुर बनने का ढोंग करो
कायर नहीं हो तुम
क्या लिखोगे
क़लम भी उनकी है
कागज भी उनका है
लिखो मगर
बे हुनर नहीं हो तुम
जज़्बात काबू रखो
अहसास दबा लो
वक़्त का तकाज़ा है
बस होट सिले है
गूंगे नहीं हो तुम

16 मार्च 2018

अहसास

शाम का वक्त था
घर के आंगन में
माहौल खुशनुमा था
सब बहुत खुश थे

आज कई अरसे बाद सारे भाई एक साथ
मां बाप के पास बैठे थे गुफ्तगू हो रही थी

गिले शिकवे होने लगे
आवाजें ऊंची होने लगी
पास बैठी मां घबरा गई
हाथ उठे..या अल्लाह.....
मेरे बेटे आपस में ना लड़ें ..
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8 मार्च 2018

प्रदेश का जीवन

सुबह जल्दी उठो नौकरी पर जाओ
फिर आओ फिर कुछ खाओ और सो जाओ
फिर कल उठो फिर वही दोहराओ....असल में प्रदेश में जीवन यही है 😂

और यह सब उसी दिन शुरू हो जाता है जब घर निकलते है
यह सिलसिला तबतक जारी रहता है जब तक वापस घर नहीं पहुँच जाते
लेकिन घर से निकलने और वापस पहुँचने के बीच जो फासला
है वही तक़दीर का फैसला है
और उस दिन के बाद से ज़िंदगी की जद्दो जहद जारी रहती है
घर से निकलने वाले दिन के वो पल याद रह जाते है जब मां कहती है
बैठा कोई चीज भूल तो नहीं गए
ना..... कुछ नहीं भूला बस सबकुछ भूल गया

वो बच्चो के साथ बिताये पल वो गाँव की गलियां.... बस यादें....
दिन दो दिन महीने फिर साल और कई साल यूं ही यादों में गुजर जाते है