दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
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भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
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तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
सुखा है दूर तलक देखो हालत किसानों की
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धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
................................................................MJ
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अच्छा है ।
जवाब देंहटाएंTHX JI
जवाब देंहटाएंधर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
जवाब देंहटाएंजानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
बहुत खूब कहा है इन पंक्तियों में ।
SANJAY JI SHUKRIYA
जवाब देंहटाएंSANJAY JI SHUKRIYA
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा |
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/