एक अफवाह उडी के बीफ खाया जा रहा है
हम कितने DIGITAL है यह जताया जा रहा है
कोई धर्म नहीं शायद इनका फिर कौन है यह
बीफ के नाम पर क्यूँ नफरतों को बढाया जा रहा है
कुछ तो फर्क कर देता खूँ मैं भी ऐ खुदा
जिनके सहारे कत्ले-ऐ-आम मचाया जा रहा है
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कसूर इतना था उस गरीब का वो इक मुस्लिम था
जाने किस किस को यह पाठ पढाया जा रहा है
क्यों और कब तक मरेंगे यूँही कितने (अखलाक )
मातम है कहीं तो कहीं जश्न मनाया जा रहा है
यहाँ जब कोई नहीं सुन रहा उस गरीब की आह
दूर कही अनसुलझा मसला-ऐ-कश्मीर सुलझाया जा रहा है |
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......................................................................MJ DESHWALI
सुंदर !
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