1 अक्तू॰ 2015

अखलाक़

एक अफवाह उडी के  बीफ  खाया जा रहा  है
हम कितने DIGITAL है यह जताया जा रहा है

कोई  धर्म नहीं शायद  इनका फिर कौन है यह
बीफ के नाम पर क्यूँ नफरतों को बढाया जा रहा है

कुछ तो फर्क कर देता  खूँ  मैं  भी ऐ खुदा
जिनके सहारे कत्ले-ऐ-आम मचाया जा रहा है
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कसूर इतना था उस गरीब का वो इक मुस्लिम था
जाने किस किस को यह पाठ  पढाया जा रहा है

क्यों और कब तक मरेंगे यूँही कितने (अखलाक )
मातम है कहीं  तो कहीं जश्न मनाया जा रहा है

यहाँ जब कोई  नहीं सुन रहा  उस गरीब  की आह
दूर कही अनसुलझा  मसला-ऐ-कश्मीर सुलझाया जा रहा है |
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......................................................................MJ DESHWALI



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