12 अप्रैल 2018

नींद कैसे आई होगी

लूट कर मासूम की आबरू
जालिमों तुम्हे नींद कैसे आई होगी

तुमने तड़पा कर उस खिलते फूल को
अपनी बेटियों से कैसे नज़र मिलाई होगी

कसूर क्या था शायद कोई खता नहीं थी
कलेजा नहीं फटा जब वो चिल्लाई होगी

तुम इतने बेरहम कैसे बन गए ऐ दरिंदो
सोचता हूँ शायद तालीम ऐसी पाई होगी

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