लूट कर मासूम की आबरू
जालिमों तुम्हे नींद कैसे आई होगी
तुमने तड़पा कर उस खिलते फूल को
अपनी बेटियों से कैसे नज़र मिलाई होगी
कसूर क्या था शायद कोई खता नहीं थी
कलेजा नहीं फटा जब वो चिल्लाई होगी
तुम इतने बेरहम कैसे बन गए ऐ दरिंदो
सोचता हूँ शायद तालीम ऐसी पाई होगी
जालिमों तुम्हे नींद कैसे आई होगी
तुमने तड़पा कर उस खिलते फूल को
अपनी बेटियों से कैसे नज़र मिलाई होगी
कसूर क्या था शायद कोई खता नहीं थी
कलेजा नहीं फटा जब वो चिल्लाई होगी
तुम इतने बेरहम कैसे बन गए ऐ दरिंदो
सोचता हूँ शायद तालीम ऐसी पाई होगी
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