22 जन॰ 2018

पकोड़ा

जिस तरह की चर्चा चल रही है
उससे लगता है जल्द ही पकोड़े बेचना भी
"राष्ट्रीय रोजगार योजना" में शामिल हो जायेगा
शायद कानून भी बन जाये आखिर मसला रोजगार का है
बेरोजगार इंजीनियर पकोड़े की डिजायन बनाऐंगे
IIT वाले पकोड़े की नई तकनीक इजाद करेंगे
स्कूलों में पकोड़ों पर बाकायदा पाठ पढाया जायेगा
पकोड़ा और पकोड़ी में भेदभाव करनें वालों के खिलाफ
सख्त कार्यवाही होगी
दुकान लगाकर पकोड़े बेचनें पर GST लगेगी,
ठेला लगाकर गली मोहल्लों में पकोड़े बेचने पर GSTकी छूट रहेगी,
बड़े पकोड़े बेचनें की अधिकार सिर्फ वैज्ञानिकों के पास होगा
डॉक्टर पर्ची में अपनी क्लिनिक के पकोड़े ही लिखेगा
कुछ रीज्यों में तो शायद पकोड़ा कार्ड भी बन जाये
हर नुक्कड़ पर पकोड़े की दुकानें नजर आयेंगी
देश GDP को एक नई राह मिलेगी
TV पर शाम को डिबेट होगी
ऐंकर मुद्दा उठायेगा की जब सरकार नें पकोड़े का साईज तय कर दिया है तो फिर मुसलमानों नें पकोड़ा बड़ा क्यों बनाया
बहस में बैठे पंडित का भी इलजाम होगा की मुसलमानों का पकोड़ा हमारे पकोड़े से बड़ा क्यों है,
सरकारी प्रवक्ता कहेगा की हमारा पकोड़ा राष्ट्रवादी है
हम तुम्हारे पकोड़े को बर्दास्त नहीं करेंगे
युवाओं में जौश होगा भांत भांत के पकोड़े नजर आयेंगे
सबसे ज्यादा नुक्सान होगा बैचारी पकोड़ी का
क्योंकी सिर्फ पकोड़े को योजना में शामिल किया है पकोड़ी को नहीं,
और फिर बनेगी "पकोड़ी सेना" तोड़ फोड़ होगी
जल्द से जल्द पकोड़ी को भी योजना में शामिल करनें के लियें आंदोलन होगा।
लेकिन बैचारा किसान यहां भी बदकिस्मत ही रहेगा
..
इसलिये रोजगार और विकास गया भाड़ में
बस "पकोडे़ खाओ पकोडे़"
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7 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  2. आपकी कविता देख इतना यकीन हो गया... जल्द बहुरेंगे पकौड़ी के दिन..हास्य परिहास से सुशोभित खुबसूरत कविता.. बधाई आपको।

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  3. बहुत दम है आपके लेखन में -- लिखते रहिये -- मेरी शुभकामनाये --

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