19 जन॰ 2018

तेरा बाबा

बूढे बाबा का जब चश्मा टूटा
बोला बेटा कुछ धुंधला धुंधला है
तूं मेरा चश्मां बनवा दे,
मोबाइल में मशगूल
गर्दन मोड़े बिना में बोला
ठीक है बाबा कल बनवा दुंगा,
बेटा आज ही बनवा दे
देख सकूं हसीं दुनियां
ना रहूं कल तक शायद जिंदा,
जिद ना करो बाबा
आज थोड़ा काम है
वेसे भी बूढी आंखों से एक दिन में
अब क्या देख लोगे दुनिया,
आंखों में दो मोती चमके
लहजे में शहद मिला के
बाबा बोले बेठो बेटा
छोड़ो यह चश्मा वस्मा
बचपन का इक किस्सा सुनलो
उस दिन तेरी साईकल टूटी थी
शायद तेरी स्कूल की छुट्टी थी
तूं चीखा था चिल्लाया था
घर में तूफान मचाया था
में थका हारा काम से आया था
तूं तुतला कर बोला था
बाबा मेरी गाड़ी टूट गई
अभी दूसरी ला दो
या फिर इसको ही चला दो
मेने कहा था बेटा कल ला दुंगा
तेरी आंखों में आंसू थे
तूने जिद पकड़ ली थी
तेरी जिद के आगे में हार गया था
उसी वक्त में बाजार गया था
उस दिन जो कुछ कमाया था
उसी से तेरी साईकल ले आया था
तेरा बाबा था ना
तेरी आंखों में आंसू केसे सहता
उछल कूद को देखकर
में अपनी थकान भूल गया था
तूं जितना खुश था उस दिन
में भी उतना खुश था
आखिर "तेरा बाबा था ना"

2 टिप्‍पणियां:

  1. माँ-बाप अपनी संतान के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं , यह बात यदि औलाद समझ जाय तो ये दुनिया स्वर्ग बन जाए।
    आज की पीढ़ी से ज्यादा अपेक्षा करना बेमानी है
    मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

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