महामहिम राष्ट्रपति जी आज जो अराजकता या असहिष्णुता फैली हुई है उसके बारे में
कुछ तो बोलिए जनाब ?
आज हमारा भारत सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण मानदंडों पर पिछड़ता जा रहा है,
ऐसी स्थिति हमारे लोकतन्त्र के लिए खतरनाक है....यह आप भी बखूबी जानते है
जनाब ,लोकतन्त्र में जनता के भरोसे का खुलेआम मज़ाक बनाया जा रहा है ..
हमारे देश की गरीबी और पिछड़ेपन को विश्वभर में एक बाकायदा मंच लगाकर सुनाया जा रहा है
में पूछना चाहुगा जनाब क्या इस देश ने पिछले 60 सालों में यही पाया है
गरीबी और विकास के बारे मैं कोई बात नहीं हो रही ..बात होती है सिर्फ धर्म और जाती की
कुछ भद्रजन इसको बखूबी अंजाम दे रहे है ..
महामहिम आप ही ने कहा था अराजकता शासन का विकल्प नहीं हो सकती
लेकिन आज धर्म के नाम साध्वी प्राची, आदित्यनाथ जेसे कुछ जो हर धर्म में मोजूद है
जो धर्म के नाम पर नफरत का जहर उगल रहे है यह अराजकता नहीं तो और क्या है
कुछ कीजिये महाराज .....इनसे रोकिये यह के लिए बड़ा खतरा है ....
आज कही किसी को कुछ खाने पर मार दिया जाता है
कही किसी को देश से निकालने की बात की जा रही है
किसान की हालत जस से तस है गरीब और लाचार होता जा रहा है
कुछ कीजिये जनाब इससे पहले की कोई आप पर भी ऊँगली उठाये ..
अपने संवैधानिक सीमा में रहकर ही सही पर इतना तो कर दीजिये जनाब .............
गणतन्त्र का नागरिक
कुछ तो बोलिए जनाब ?
आज हमारा भारत सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण मानदंडों पर पिछड़ता जा रहा है,
ऐसी स्थिति हमारे लोकतन्त्र के लिए खतरनाक है....यह आप भी बखूबी जानते है
जनाब ,लोकतन्त्र में जनता के भरोसे का खुलेआम मज़ाक बनाया जा रहा है ..
हमारे देश की गरीबी और पिछड़ेपन को विश्वभर में एक बाकायदा मंच लगाकर सुनाया जा रहा है
में पूछना चाहुगा जनाब क्या इस देश ने पिछले 60 सालों में यही पाया है
गरीबी और विकास के बारे मैं कोई बात नहीं हो रही ..बात होती है सिर्फ धर्म और जाती की
कुछ भद्रजन इसको बखूबी अंजाम दे रहे है ..
महामहिम आप ही ने कहा था अराजकता शासन का विकल्प नहीं हो सकती
लेकिन आज धर्म के नाम साध्वी प्राची, आदित्यनाथ जेसे कुछ जो हर धर्म में मोजूद है
जो धर्म के नाम पर नफरत का जहर उगल रहे है यह अराजकता नहीं तो और क्या है
कुछ कीजिये महाराज .....इनसे रोकिये यह के लिए बड़ा खतरा है ....
आज कही किसी को कुछ खाने पर मार दिया जाता है
कही किसी को देश से निकालने की बात की जा रही है
किसान की हालत जस से तस है गरीब और लाचार होता जा रहा है
कुछ कीजिये जनाब इससे पहले की कोई आप पर भी ऊँगली उठाये ..
अपने संवैधानिक सीमा में रहकर ही सही पर इतना तो कर दीजिये जनाब .............
गणतन्त्र का नागरिक
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