'रोल नम्बर 1.. यस सर ! मेरे घर में टॉयलेट है
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पूरा माजरा यह है की
गुजरात के नर्मदा जिले के प्राईमरी स्कुलों में अब हाजिरी के वक्त छात्रों को तीनों में से किसी एक वाक्य को बोलना होगा
1. मेरे घर में टॉयलेट है
2. मेरे घर में टॉयलेट नहीं है
3 .टॉयलेट का निर्माण हो रहा है
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वाह रे देश की शिक्षा .
कहीं यह फरमान जारी ना दे की यह भी बोलना पड़ेगा ?
" में टट्टी जाकर आया हूं
" में टट्टी जाकर नहीं आया
" मुझे तो कब्ज है
" में तो हंगता ही नहीं ..
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सोच रहा हूं की विदेशी लोग क्या सोचते होंगे जब ऐसी ऐसी बातें विदेशी लोगों को पता चलती होगी
..घर में टॉयलेट न होने का क्या कारण है, उनकी क्या समस्या है, उसके लिए हमें क्या करना होगा, क्यों वे टॉयलेट नहीं बन पा रहे हैं, सरकारी हो हल्ला तो बहुत हो जाता है लेकिन बिडम्बना ये हैं कि जिम्मेदारी किसी की निर्धारित नहीं होती, कागजी घोड़े जिस तेजी से दौड़ते हैं वैसे गति धरातल पर देखने को बहुत कम मिलती हैं ... ऐसे ही अनाप शनाप फरमान और जुमले पढ़कर खुश हो लो बस ....
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