सोने की चिड़ीया से मुल्क में अंधेरा क्यों है
इस दौर में भी काला इतना सवेरा क्यों है
दिखती है अब हर शय में खौफ की आहट
सवेरा है मगर फिर भी घना अंधेरा क्यों है
माना की हर फैसले से वास्ता नहीं तेरा
मगर फिर भी हर फैसला तेरा क्यों है !
अजीब सवाल पूछ रह है निशब्द परिंदों से
इस दौर में बिजली के तार पर बसेरा क्यों है।
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