28 जन॰ 2018

खैल की मंडी

मंच सजा
बोलियां लगी
ये बिका
वो बिका
उसे इसनें खरीदा
इसे उसने खरीदा
कला बिक गई
खैल बिक गया

बोली लगी
अमीरों ने लगाई
कौन बिका
कौन रह गया
गरीबों नें तालियां बजाई

किसी को ढैला ना मिला
कही पैसों की बरसात हो गई
बिकना भी अब यहां
सम्मान की बात हो गई

क्या मेरी टीम
क्या तेरी टीम
सब पैसों का खैल है
निचोड़ रहे है जो
बस गरीबों का ही तेल है
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