सुबह जल्दी उठो नौकरी पर जाओ
फिर आओ फिर कुछ खाओ और सो जाओ
फिर कल उठो फिर वही दोहराओ....असल में प्रदेश में जीवन यही है 😂
और यह सब उसी दिन शुरू हो जाता है जब घर निकलते है
यह सिलसिला तबतक जारी रहता है जब तक वापस घर नहीं पहुँच जाते
लेकिन घर से निकलने और वापस पहुँचने के बीच जो फासला
है वही तक़दीर का फैसला है
और उस दिन के बाद से ज़िंदगी की जद्दो जहद जारी रहती है
घर से निकलने वाले दिन के वो पल याद रह जाते है जब मां कहती है
बैठा कोई चीज भूल तो नहीं गए
ना..... कुछ नहीं भूला बस सबकुछ भूल गया
वो बच्चो के साथ बिताये पल वो गाँव की गलियां.... बस यादें....
दिन दो दिन महीने फिर साल और कई साल यूं ही यादों में गुजर जाते है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें