18 अप्रैल 2018

चिड़ियों के पर ना काटो

वो कश्मीर की वादियां
वो लहूलुहान परिंदे
वो खंडहर से घरौंदे  
सब एक सुर में बोल पड़े

कुछ पंछी पराए है
कुछ अपने हमसाये हैं
ख़ामोश लब खोल पड़े
सब एक सुर में बोल पड़े

चिड़ियों के पर ना काटो
मजहब में इनको ना बांटो
उड़ने दो इनको आसमान में
फेलाने दो अमन हिंदुस्तान में

सब एक सुर में बोल पड़े

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