8 जून 2018

अच्छे दिन की डायरी...

इतना कुछ लिखा जा चुका है या लिखा जा रहा है,

आने वाले वक़्त में जब इतिहासकार लिखने बैठेगा तो    लिखने के लिए उसके पास कुछ नहीं होगा

जब वो
कुछ देश के बारे में लिखने की सोचेगा  !!!

लेकिन क्या लिखना है उसे भी नही मालूम जो वो सोच रहा है     वो सब लिखा जा चुका है और इतिहास बन चुका है

फिर वो
इंसानियत के बारे में लिखने की सोचेगा !!!

लेकिन किसकी इंसानियत के बारे में लिखे , जो लोग इंसानियत दिखा रहे थे, कईयों ने शाम को घर में बूढ़े मां बाप से बदतमीजी की है,

शिक्षा, समाज , परिवार, दोस्त, रिश्तेदार , सबके बारे में उसने सोचा लेकिन जो वो सोच रहा है वो सब लिखा जा चुका है और पढ़ा जा चुका है

अब वो
हैरान परेशान होकर अपने क़लम को फेंकने ही वाला था कि
अचानक से मुस्कुराया 

आइडिया !!
उसने सोशल मीडिया खोला कहीं से एक दो किलोमीटर लंबी पोस्ट कॉपी की ओर इतिहास लिखने वाली डायरी में चिपका देगा..
उसे यह भी पता है कि यह नसीहत भरी पोस्ट उससे पहले भी
कई बार लिखी और पढ़ी जा चुकी है,....

लेकिन सुकून है
वो लिख चुका है उसे पोस्ट खत्म करनी है,
अब वो सिर्फ यह एक बात लिखकर इतिहास की डायरी बंद कर देगा कि " अच्छे दिन आयेंगे " ......

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