25 दिस॰ 2018

जद्दोजहद जारी है

ज़िन्दगी की
जद्दोजहद जारी है
आज तो गुजर गया
जैसे तैसे
कल की तैयारी है
दिन भर की थकन लेकर
लौट आए है
उस कमरे में
जहां
एक कोने में फ्रिज है
एक बड़ी सी अलमारी है
कपड़े भी धोने है
फ्रिज में सालन रखा है
ज़ायका पता नहीं
रोटियां बिकती है
खरीद लेंगे .
जल्दी सो जायेंगे
सुबह उठने के लिए
यादों के बाद
अक्सर
नीद गहरी आती है
यहां यही ज़िन्दगी है
मजबूरी है
मजदूरी है
अपनों की खातिर
जीना भी
जरूरी है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें