6 जन॰ 2019

मेरी झोंपड़ी

ईंट से ईंट जोड़ कर
महल बना लिए तुमने,

पत्थरों को तराश कर
शहर बसा लिए तुमने ,

मेरी झोंपड़ी शायद
तेरी औक़ात के करीब नही.

छनकर आती यह रोशनी
फक़त मेरी है तेरा शरीक नहीं,


(जमील नामा 10-18)


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