जब नफरतों का साया ना था
लोग दिलों के अच्छे थे ..
मन के सच्चे थे ...
वो वक़्त भी क्या खूब था......
जब मुंडेर पर बैठी कोयल
गाया करती थी
वक़्त से नींद आया करती थी
वो वक़्त भी क्या खूब था......
जब मोहब्बत के दीवाने
इश्क़ के इजहार में
हाथों से खत लिखा करते थे
वो वक्त भी क्या खूब था.......
@ जमील नामा 37/18
लोग दिलों के अच्छे थे ..
मन के सच्चे थे ...
वो वक़्त भी क्या खूब था......
जब मुंडेर पर बैठी कोयल
गाया करती थी
वक़्त से नींद आया करती थी
वो वक़्त भी क्या खूब था......
जब मोहब्बत के दीवाने
इश्क़ के इजहार में
हाथों से खत लिखा करते थे
वो वक्त भी क्या खूब था.......
@ जमील नामा 37/18
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें