26 मार्च 2018

वक़्त का तकाज़ा

होंट सिल दिए
आवाजें दबा दी
बहरे नहीं हो तुम
सुनते रहो बस
आंखें खुली रखना मगर
अंधे नहीं हो तुम
क्या दिखाया जा रहा है
देखो महसूस करो
बस आवाजें दबी है
गूंगे नहीं तो तुम
तुम डरे नहीं थे
डराया गया है तुमको
बहादुर बनने का ढोंग करो
कायर नहीं हो तुम
क्या लिखोगे
क़लम भी उनकी है
कागज भी उनका है
लिखो मगर
बे हुनर नहीं हो तुम
जज़्बात काबू रखो
अहसास दबा लो
वक़्त का तकाज़ा है
बस होट सिले है
गूंगे नहीं हो तुम

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