आज आपको बताएंगे फूफा जी के बारे में
देखिए ..फूफा जी एक ऐसे शख्स को कहते है जो दामाद, जीजा जी, का हसीन सफ़र पूरा कर चुका होता है...
या यूं समझ लीजिए की वो अब रिटायर्ड दामाद है और इनको सिर्फ राय मशवरे के टाइम ज़्यादा याद किया जाता है
ससुराल में किसी नए दामाद का उदय होने के बाद इनका
सिक्का लगातार गिरता रहता है.और इनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है 😊
शादियों में इनकी बड़ी अहमियत होती है
रिश्तेदार को मनाना हो, खाने के क्या बनाना है, या टेंट कैसे लगाने है, ऐसे कामों के लिए इनकी राय लेना बहुत जरूरी होता है....
खासकर रिश्तेदारों को मनाने में इनका अहम रोल होता है
लेकिन अगर यह खुद रूठ जाए तो इनको मनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते है 😊 फिर जैसे तैसे मान भी गए
तो शादी में इनका खास ख्याल रखा जाता है..
कुछ फूफा खड़ूस होते है..
पीछे हाथ बांध कर ऐसे ऑर्डर फेंकते है जैसे किसी सलतनत के महाराज हो...हुक्म मानना भी पड़ता है गुजरे वक़्त के जीजाजी जो ठहरे..वक़्त ने अब इनको फूफा जी बना दिया है
कुछ फूफा बहुत शालीन होते
जहां कुर्सी लगा दी बैठ जाते है अकेले घंटों बैठे रहेंगे
मजाल है वहां से उठ जाए 😊आखिर में जब बारात आ जाती है तो इनको मिठाई वाले रूम में बिठा दिया जाता है .
कुछ फूफा अलग ही किस्म के होते है
इनका लेवल अलग ही होता है बच्चों से हंसी मजाक करते करते इनकी नज़रें हर कोने को ताक रही होती है, यह सुनते कम सुनाते ज़्यादा है 😂..
कुल मिलाकर फूफा जी चाहे जैसा भी हो उनका
मान सम्मान करना हमारी परम्परा है....
इसलिए कमेंट में दो शब्द कहकर सभी फूफाओं का सम्मान बढ़ाएं 😊
देखिए ..फूफा जी एक ऐसे शख्स को कहते है जो दामाद, जीजा जी, का हसीन सफ़र पूरा कर चुका होता है...
या यूं समझ लीजिए की वो अब रिटायर्ड दामाद है और इनको सिर्फ राय मशवरे के टाइम ज़्यादा याद किया जाता है
ससुराल में किसी नए दामाद का उदय होने के बाद इनका
सिक्का लगातार गिरता रहता है.और इनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है 😊
शादियों में इनकी बड़ी अहमियत होती है
रिश्तेदार को मनाना हो, खाने के क्या बनाना है, या टेंट कैसे लगाने है, ऐसे कामों के लिए इनकी राय लेना बहुत जरूरी होता है....
खासकर रिश्तेदारों को मनाने में इनका अहम रोल होता है
लेकिन अगर यह खुद रूठ जाए तो इनको मनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते है 😊 फिर जैसे तैसे मान भी गए
तो शादी में इनका खास ख्याल रखा जाता है..
कुछ फूफा खड़ूस होते है..
पीछे हाथ बांध कर ऐसे ऑर्डर फेंकते है जैसे किसी सलतनत के महाराज हो...हुक्म मानना भी पड़ता है गुजरे वक़्त के जीजाजी जो ठहरे..वक़्त ने अब इनको फूफा जी बना दिया है
कुछ फूफा बहुत शालीन होते
जहां कुर्सी लगा दी बैठ जाते है अकेले घंटों बैठे रहेंगे
मजाल है वहां से उठ जाए 😊आखिर में जब बारात आ जाती है तो इनको मिठाई वाले रूम में बिठा दिया जाता है .
कुछ फूफा अलग ही किस्म के होते है
इनका लेवल अलग ही होता है बच्चों से हंसी मजाक करते करते इनकी नज़रें हर कोने को ताक रही होती है, यह सुनते कम सुनाते ज़्यादा है 😂..
कुल मिलाकर फूफा जी चाहे जैसा भी हो उनका
मान सम्मान करना हमारी परम्परा है....
इसलिए कमेंट में दो शब्द कहकर सभी फूफाओं का सम्मान बढ़ाएं 😊
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