गर तुझे जानना है ज़ुल्म इंतिहा
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे दर्द का अहसास नहीं
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे जानना है बर्दाश्त की हद
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है छलनी कलेजे
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है फूलों के जनाजे
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है खौफ के साए
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है पत्थरों का रोना
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है आंसुओं का सैलाब
तूं कश्मीर चल...
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तूं कश्मीर चल...
गर तुझे दर्द का अहसास नहीं
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे जानना है बर्दाश्त की हद
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है छलनी कलेजे
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है फूलों के जनाजे
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है खौफ के साए
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है पत्थरों का रोना
तूं कश्मीर चल...
गर तुझे देखना है आंसुओं का सैलाब
तूं कश्मीर चल...
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