हर दर-ओ-दीवार पर
किस्से है बेटों के...
मगर घर के हर हिस्से को
महकाती है बेटियां !!
किस्से है बेटों के...
मगर घर के हर हिस्से को
महकाती है बेटियां !!
बेटे शायद अनजान रह जाएं
मां के पैरों की तकलीफ से..
बेवजह ही कभी कभी
बाबा के पैर दबाती है बेटियां !!
जरा सा प्यार चाहिए इनको
और कुछ भी हसरत नहीं..
लाख दौलत के अंबार लगा लो "जमील"
सिर्फ अपने हिस्से का खाती है बेटियां !!
....
बेटियां (जमील नामा 1-19)
मां के पैरों की तकलीफ से..
बेवजह ही कभी कभी
बाबा के पैर दबाती है बेटियां !!
जरा सा प्यार चाहिए इनको
और कुछ भी हसरत नहीं..
लाख दौलत के अंबार लगा लो "जमील"
सिर्फ अपने हिस्से का खाती है बेटियां !!
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बेटियां (जमील नामा 1-19)
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