22 जन॰ 2019

तसव्वुर

ओ साहेब
जरा अपनी नजर को
नाफ़ के नीचे से हटा
और जरा उपर आ
हवस को काबू कर
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में ले आ... !!


ओ साहेब ..
नाफ़ के आसपास देख
जहां कभी तेरा बसर था
यहां एक कोख है
तेरी दुनियां यहीं से शुरू थी
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में ले आ... !!

ओ साहेब....
जरा और ऊपर देख
दूध की नदियां है यहां
छातियां कहलाती है
यही दूध तेरा कर्ज़ है
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में ले आ... !!

ओ साहेब
जरा छातियों से उपर चल
लबों तक पहुंच महसूस कर
तुझे नींद आने तक
यहां से निकली थी लोरियां
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में ले आ...!!

ओ साहेब
जरा लबों से आगे बढ़
माथे की उन झुर्रियों में
पसीने की बूंदें थी मगर
तेरे लिए कोई शिकन नहीं
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में के आ...!!

ओ साहब ..
अब नजरें झुका ली तो सुन
जहां तेरी नज़र झुकी है
इन्हीं क़दमों के नीचे से
जन्नत का राह निकलती है
गलत ख्याल से पहले
बस मां को तसव्वुर में के आ...!!

 

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