जमील नामा
सदियाँ याद रखेगी तेरी जुर्रत को रोशनाई बनकर जो तूँ कागजों पर बिखर गया
3 मार्च 2019
हिज्र
लिहाफों में बहाता रहा अश्क गम-ए-हिज्र के
फिर सब भूल गया ऐसी थी फज्र की कशिश,
जमील MJ
1 टिप्पणी:
Jyoti Singh
19 जून 2020 को 12:33 am बजे
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