सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
साथ में बच्चे
खोफ का साया
भूख के मारे वो चले जा रहे थे
खुद में पांवों पर था यकीन
खोफ का साया
भूख के मारे वो चले जा रहे थे
खुद में पांवों पर था यकीन
सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
क्या लेकर जा रहे थे
क्या लेकर आए थे
टूटी चप्पल दो जोड़ी कपड़े
कौन थे वो हिन्दुस्तानी ?
क्या लेकर आए थे
टूटी चप्पल दो जोड़ी कपड़े
कौन थे वो हिन्दुस्तानी ?
सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
रुकिए रुकिए कहानी भी खत्म नहीं हुई है.
सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
उम्मीदों की काली रात
भूख लगी तो होगी
कुछ देर और चलेंगे
फिर खा लेंगे जो कुछ है
भूख लगी तो होगी
कुछ देर और चलेंगे
फिर खा लेंगे जो कुछ है
सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
कोई तो मिला होगा
पूछा होगा
कौन हो कहां से चले आ रहे हो
ओह हां मजदूर हो .
पूछा होगा
कौन हो कहां से चले आ रहे हो
ओह हां मजदूर हो .
सर पर गठरी
गठरी में रोटी
गठरी में रोटी
थक गए होंगे
उतार कर गठरी
कुछ देर लेट गए
नींद ने घेर लिया थकन थी
उतार कर गठरी
कुछ देर लेट गए
नींद ने घेर लिया थकन थी
फिर क्या ...?
फिर नींद खुली तो
नींद खुली ही नहीं
एक रेल आई शायद उसमें रोटियां थी
आई और लेकर गुजर गई
नींद खुली ही नहीं
एक रेल आई शायद उसमें रोटियां थी
आई और लेकर गुजर गई
गठरी इधर बिखरी पड़ी थी
रोटियां उधर बिखर गई
रोटियां उधर बिखर गई
अब आगे क्या .??
जहीलों ने कहा
पटरी पर क्यों सोए
घर में रहते
जी घर ही तो जा रहे थे रहने को
पटरी पर क्यों सोए
घर में रहते
जी घर ही तो जा रहे थे रहने को
फिर गठरी समेट ली
रोटियां तस्वीरों में आ गए गई
लेकिन कौन थे
अरे हां याद आया मजदूर थे..☹️☹️
रोटियां तस्वीरों में आ गए गई
लेकिन कौन थे
अरे हां याद आया मजदूर थे..☹️☹️